A Review Of Shiv chaisa
A Review Of Shiv chaisa
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किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥
पुत्र होन कर इच्छा जोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥
लिङ्गाष्टकम्
दिल्ली के प्रसिद्ध हनुमान बालाजी मंदिर
मैना मातु की हवे दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥
एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥
सेवक स्तुति करत सदाहीं ॥ वेद नाम महिमा तव गाई।
धन निर्धन को देत सदाहीं। जो कोई जांचे वो फल पाहीं॥
माता-पिता भ्राता सब होई। संकट में पूछत नहिं कोई॥
लै Shiv chaisa त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट से मोहि आन उबारो॥
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
कहे अयोध्या आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥
दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥
त्रिगुण shiv chalisa lyricsl रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव…॥